स्थापना वर्ष - 1996
नगर पालिका परिषद् -भिन्गा
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भिन्गा उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है, जिसका संबंध प्राचीन बौद्धकाल से है।
श्रावस्ती बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्रों में से एक था और भिन्गा उसी का हिस्सा रहा है। यहां कई बौद्ध स्थलों के
अवशेष मिले हैं, जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं। मुग़ल और ब्रिटिश काल में भी यह क्षेत्र महत्वपूर्ण था।
भिन्गा आज एक शांत और प्रगतिशील नगर के रूप में उभर रहा है। यहां की मुख्य आय का स्रोत कृषि है, खासकर धान,
गेहूं और सब्जियों की खेती। इसके अलावा, भिन्गा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बना हुआ है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी भिन्गा में कई स्कूल और कॉलेज स्थापित हो चुके हैं, जो छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
भिन्गा का स्थानीय बाजार अपने कृषि उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है।
श्रावस्ती हिमालय की तलहटी मे बसे भारत-नेपाल सीमा के सीमावर्ती जिले बहराइच से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |
उत्तर प्रदेश के इस जिले की पहचान विश्व के कोने-कोने मे आज बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप मे है | इस जनपद का गठन दिनांक 22-05-1997
को हुआथा |दिनांक 13-01-2004 को शासन द्वारा इस जनपद का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया था | पुनः माह जून 2004 सी यह
जनपद अस्तित्व मे आया है | जनपद का मुख्यालय भिन्गा मे है ,जो श्रावस्ती से 55 किमी0की दूरी पर है
जनपद कोशल एक प्रमुख नगर था | भगवान बुद्ध के जीवन काल में यह कोशल देश की राजधानी थी |
इसे बुद्धकालीन भारत के 06 महानगरो चम्पा ,राजगृह , श्रावस्ती ,साकेत ,कोशाम्बी ओर वाराणसी मे से एक माना जाता था |
श्रावस्ती के नाम के विषय मे कई मत प्रतिपादित है| बोद्ध ग्रंथो के अनुसार अवत्थ श्रावस्ती नामक एक ऋषि यहाँ रहते थे ,
जिनके नाम के आधार पर इस नगर का नाम श्रावस्त पड़ गया था | महाभारत के अनुसार श्रावस्ती नाम श्रावस्त नाम के एक
राजा के नाम पड़ गया | ब्राह्मण साहित्य , महाकाव्यों एवं पुराणों के अनुसार श्रावस्त का नामकरण श्रावस्त या श्रावास्तक के नाम
के आधार पर हुआ था | श्रावस्तक युवनाय का पुत्र था ओर पृथु की छठी पीड़ी मे उत्पन्न हुआ था | वही इस नगर के जन्मदाता थे
ओर उन्ही के नाम पर इसका नाम श्रावस्ती पड़ गया |