भिन्गा उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है, जिसका संबंध प्राचीन बौद्धकाल से है।
श्रावस्ती बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्रों में से एक था और भिन्गा उसी का हिस्सा रहा है। यहां कई बौद्ध स्थलों के अवशेष मिले हैं,
जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं। मुग़ल और ब्रिटिश काल में भी यह क्षेत्र महत्वपूर्ण था।
भिन्गा आज एक शांत और प्रगतिशील नगर के रूप में उभर रहा है। यहां की मुख्य आय का स्रोत कृषि है, खासकर धान, गेहूं और सब्जियों की खेती।
इसके अलावा, भिन्गा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बना हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में भी भिन्गा में कई स्कूल और कॉलेज
स्थापित हो चुके हैं, जो छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। भिन्गा का स्थानीय बाजार अपने कृषि उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है।
जनपद कोशल एक प्रमुख नगर था | भगवान बुद्ध के जीवन काल में यह कोशल देश की राजधानी थी |
इसे बुद्धकालीन भारत के 06 महानगरो चम्पा ,राजगृह , श्रावस्ती ,साकेत ,कोशाम्बी ओर वाराणसी मे से एक
माना जाता था | श्रावस्ती के नाम के विषय मे कई मत प्रतिपादित है| बोद्ध ग्रंथो के अनुसार अवत्थ श्रावस्ती नामक
एक ऋषि यहाँ रहते थे , जिनके नाम के आधार पर इस नगर का नाम श्रावस्त पड़ गया था
महाकाव्यों एवं पुराणों मे श्रावस्ती को राम के पुत्र लव की राजधानी बताया गया है | बोधह ग्रांटों के अनुसार, वहाँ 57 हज़ार कुल
रहते थे ओर कोसल नरेशो की आमदनी सबसे ज्यादा इसी नगर से हुआ करती थी| यह चौड़ी गहरी खाई से खीरा हुआ था | इसके
अतिरिक्त इसके इर्द –गिर्द एक सुरक्षा दीवार थी, जिसमे हर दिशा मे दरवाजे बानु हुए थे | हमारी प्राचीन कलाँ मे श्रावस्ती के दरवाजो का
अंकन हुआ है | चीनी यात्री फ़ाहयान ओर हवेनसांग ने भी श्रावस्ती के दरवाजो का उल्लेख किया है | यहाँ मनुष्यो के उपयोग – परिभाग की
सभी वस्तुए सुलभी थी, अतः इसे सावत्थी का जाता है | श्रावस्ती की भौतिक समृद्धि का प्रमुख कारण यह था कि यहाँ पर तीन प्रमुख व्यापारिक
पाठ मिलते थे , जिससे यह व्यापार का एक महान केंद्र बन गया था | यह नगर पूर्वे मे राजग्रह से 45 योजना दूर आकर बुद्ध ने श्रावस्ती विहार
किया था | श्रावस्ती से भगवान बुद्ध के जीवन ओर कार्यो का विशेष सम्बंध था | उल्लेखनीय है की बुद्ध ने अपने जीवन अंतिम पच्चीस वर्षो के
वर्षवास श्रावस्ती मे ही व्ययतीत किए थे